Sunday 30 October 2011

Dil Ki Awaj




चाहत की हर उस उमीद में जीता हूँ जिसके हर पहलू में सिर्फ तुम नज़र आओ !

चाहत की हर उस सुबह में जीता हूँ जिसकी हर किरण में सिर्फ तुम नज़र आओं !
कभी खुदा मिले तो मेरे यार जरा पूछ कर उस खुदा से देखना तुम्हे मेरी 
सिर्फ वफ़ा और तड़प नज़र आएगी !

याद उन्हे करते है जो यादो से एक पल के लिये भी अलग होते है, मगर जो अलग ही नहीं होते है उन्हे क्या याद करते है |
बस एक बार हाँ तो कर के देखो सारी दुनिया को बदल सकते है, बस तेरी आवाज मे उस जवाब का इंतज़ार करते है.......


आज दिल से निकली एक कशिश दर्द बन कर आवज;क़ि आज वो नही है,तो बरसात हो कर भी नही लगती है बरसात , और जब वो थे,तो बिन मौसम के भी होती थी बरसात , तब वो थे हम थे और साथ मे थी महोब्बत एक पहचान 


सोच कर निकले थे कि जमी मिलेगा , मगर  जाने कैसे दलदल मिल गया !
सोच कर निकले थे कि समंदर मिलेगा , मगर  जाने कैसे रेगिस्तान मिल गया !
सोच कर निकले थे कि आसमा मिलेगा , मगर  जाने कैसे पर ही कट गया !
सोच कर निकले थे कि ख़ुशी मिलेगी , मगर  जाने कैसे गम मिल गया !
सोच कर निकले थे कि जिन्दगी मिलेगी , मगर  जाने कैसे मौत मिल गया !
सोच कर निकले थे कि महोबत्त मिलेगी , मगर  जाने कैसे रुषवाई मिल गयी !


जीवन की हर दासता यु भूलता चला जाऊ !
मझदार में किनारे की रहा यु खोजता चला जाऊ !
बंद पिंजरे में परिंदे की तरह आसमा को यु देखता चला जाऊ !
तडपती मछली की तरह जल की यु तलाश करता चला जाऊ !
पतझर में सूखे वृच्छ की तरह सावन का यु इंतजार करता चला जाऊ !
प्यासे मुसाफिर की तरह रेगिस्तान में कुए को यु ढूंढता चला जाऊ !,
बस अब तो मौत भी  जाये तो इस जहा से यु ही मुस्कराते हुए चला जाऊ !

जीवन में यादो की तनहइयो का बवंडर है , महोबत में दिल की गहरायो का समंदर है !
सीने में दर्द पेअगाम बनकर छलकता है, आँखों में आशुओ का शैलब बिखेरता है !
हर पल हर दिन वही गुजरता हुआ शैलब है, फिर भी जीवन में मुझे हर पल उसकी ही तलाश है !
वो मिल जाये तो बुझे हुए जीवन में फिर से नयी बरसात है, ,बस यही मेरे जीवन की आखरी अतर्रप्त प्यास है !

ऐसा  हो कही देर हो जाये मुझे आजमाने में और मेरी मौत  जाये पैमाने में .!
वक़्त को नहीं है खबर हम दुनिया से मुहू मोड़ लेगे अपनी किस्मत को यु ही यही छोड़ देगे !

पता नहीं कब लिखने की आदत बन गयी .
इस दिल की आवाज से कब शायरी निकलने लग गयी ........
लिखना तो दूर पढने की भी आदत  थी हमारी .......
फिर भी ये हम्रारी कैसे पहचान बन गयी!.


खुदा को गम के देने की अगर आदत  होती !
तो हमें प्यार करने की कभी क़द्र  होती !!
भूल जाते हम किसी एक को प्यार करके !
फिर से किसी दुसरे और तीसरे  की हमें जिन्दगी में चाहत होती !!


लोग कहते हैं कि वाह क्या अदा हैं आपके मुस्कराने की !
लेकिन उन्हें क्या बताये हमारी आदत हैं यूं ही गम छुपाने की !


हर सितम में भी हम तुम्हे याद करते रहेगे !
हर वक़्त इस जुबा पे तुम्हारा ही नाम लेते रहेगे !
तुम भुलाना चाहो तो भी हमे  भुला पाओगे !
क्युकी अंतिम साँस तक हम तुम्हें ही फरियाद करते रहेगे !

जब हमारी तश्वीरे भी तुम्हारी आँखों में धूमिल हो जायेगे ,
जब हमारी पहचान भी तुम्हारी यादो में कही खो जायेगे ,
जब तुम्हारी सांसे भी थमने के लिए कही व्याकुल हो जायेगे,
जब तुम्हारी जिन्दगी का सफ़र भी अपने अंतिम चरण में नजर आयेगे,
फिर भी  निकाल सकोगेगे हमे तुम अपने इस दिल और आत्मा से ,
उस वक़्त भी तुम्हारे दिल की गहराइयो में सिर्फ हम ही नजर आयेगे ,
क्योकि कोई चाहा  सकेगा तुम्हे ऐसे जिन्दगी भर जैसे दूर रह कर भी केवल हम तुम्हे चाहेगे I

जिनकी एक आहट से हमारे दिल की धड़कने रुक जाती थी ,
जिनकी एक मुस्कराहट से हमरे चेहेरे की रंगत बदल जाती थी ,
जिनके एक गम से हमरे रातों की नींदे उड़ जाती थी ,
जिनके एक इशारे को भी हम उनके दिल की आवाज सुन लेते थे ,
आज हम हर पल यही सोचते हैं कि  जाने कैसे वो हमे भूल कर यू खामोश हो गए ,
और हम हैं कि आज भी केवल उनकी उस खामोशियों के टूटने का इंतज़ार करते हैं .........
 .
आपकी  खामोशियों  को भी  उम्र भर सदा  हम अपनी  पलकों  में  बसायेगे !
आपकी दी हुई  रुषवाइयों  को भी  उम्र भर सदा  हम अपने दिल में सजायेंगे !
आपको  शिकवा   होगी  हमसे  अब कभी  हम आपकी राह  में   आयेगे !
और पहले कि तरह आप सदा मुस्कराते रहे हम खुदा से फिर भी यही दुआ मनायेगे !


हरे लीवाज़ मे एक दिन दूर से उन्हे मेरी ओर आता देख कर बेचन दिल को फिर करार गया  |
कि जैसे  उन्हे  देखकर  आज इस बंज़र दिल मे  फिर से  वही  हरियाली  छा गया ||
मंगर जाने फिर से बेरहम वक्त और तकदीर के पन्नो के फैसले ने ऐसे करवट बदल दिया |
कि कुछ लम्हो मे ही हमारे और उनके हाथो मे जुदाई और आँसूओ का पैगाम थमा गया||

jheel si ankhe👁️👁️ to bahut si dekhi..magar samandar 🌊ki gaharai ho jisme wo ankhe
👁️👁️ humne apke chehre me dekhi ....inki tareef ke liye Shabd nhi ha meri kitabo 📖me .. bas meri khamoshi ko hi tareefo ka Tazmahal ban kar rakhiye sada apni yado me ....😊😊

aapke hushan ko dekh kar aisa ehsaas aaya.. jaise jaise sheetal hawa ka jhoka regishtan ⛱️ me chhaya.....fir bekraar Dil ko yu aise kaise aaya.. jaise Chandni ki chhata se Chand khilkhlaya..😍😍


DIL KE ARMANO KO KABHI MACHALNE NA DO....
DIL KE ARMANO KO KABHI MACHALNE NA DO...
APNE BAHAKE HUE SE JAJBAATO KO YU  KBHI PIGHALNE  NA DO..

MOHBBAT ME DARD SE BHARI HAI YE RAHE..ISME APNE APKO KO YU KABHI BHI CHALNE NA DO.....
                                  
                                 ALFAZ BY-:
                                  SAURABH CHAUDHARY